Friday, January 4, 2013

समृद्धि के बीच विकास की बाट जोहता ग्राम गुलजाना...







गुलजाना गांव की पाती....

1. गुलजाना ग्राम भौगोलिक दृष्टि से इस धरा पर 240 57’43” डिग्री N अक्षांश तथा 84054’09” डिग्री E देशांतर पर अवस्थित है| समुद्र तल (Mean Sea Level)से इसकी ऊंचाई 92 मीटर है| जिला मुख्यालय गया शहर से 32 कि.मी उत्तर–पश्चिम दिशा में, प्रखंड एवं अनुमंडल शहर टिकारी से 6.5 कि.मी पूरब तथा बिहार प्रान्त की राजधानी पटना से 85 कि.मी. दक्षिण, पटना– गया रेलवे लाइन पर बेलागंज रेलवे स्टेशन से 8 कि.मी पश्चिम, बेलागंज – टिकारी रोड पर अवस्थित है|


2. गुलजाना उत्तर मे ग्राम भवनपुर, पूरब में ग्राम सिन्दानी तथा ग्राम बेलाढ़ी, दक्षिण में ग्राम मुस्सी और ग्राम पूरा एवं पश्चिम में ग्राम अलालपुर से घिरा है| गुलजाना को, सटे पूरब से बुढ़नदी तथा दक्षिण और पश्चिम से दरधा नदी अपने बाहुपाश में आलिंगित किये है जो एक दैविक वरदान ही है|
इतना ही नहीं, गुलजाना को सटे उत्तर-पूरब से पश्चिम की तरफ बेलागंज-टिकारी सड़क का प्राकृतिक वरदान भी प्राप्त है| ऐसा है हमारा सुन्दर, सुरम्य, मनोरम एवं यातायात सुलभ ग्राम गुलजाना!!!


3. गुलजाना का प्रशासनिक नियंत्रण गया जिला, टिकारी अनुमंडल, प्रखंड एवं थाना तथा पूरा पंचायत और अर्क ढिबरिया डाक घर के अधीन आता है| गुलजाना का सर्वे (Cadastral Map) संख्या 124 है तथा राजस्व हलका सं 5 है| अतः गुलजाना एक स्वतंत्र राजस्व ग्राम है| वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव के अनुसार गुलजाना टिकारी विधानसभा क्षेत्र सं 231 के अंतर्गत बूथ सं 253 में आता है| कुल मतदाताओं की संख्या 649, भूमिहार मतदाताओं की सं 335, कुल गृहों की सं 163 तथा भूमिहार गृहों की सं 71 है|
कुल पुरुष मतदाता 353 और महिला मतदाता 296 हैं, यद्यपि बाहर रहने वाले सभी गुलजाना बासियों को जोड़ने पर इसकी जनसँख्या 1487 के करीब हो जाती है|


4. जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है, “गुलजाना” एक उर्दू शव्द है जिसका अर्थ है ‘फूल सा प्यारा” तथा गुलजाना का एक और अर्थ है “पुष्प-जनित”(Born out of flowers)| पुराने सर्वे नक़्शे में “गुलजाना” का नाम “गुल्जना” भी देखा जा सकता है जिसका अर्थ “पुष्प-जनित” ही है| गुलजाना के कुछ घरों और बाध-बधार के कुछ नामों से भी भी पता चलता है कि इस गाँव में मुस्लिम आबादी थी, उदाहरणार्थ –‘साईं घर’,“रोज़ा पर’’ आदि| गाँव से सटे पईन के पूरब और रोज़ा पर से सटे पश्चिमोत्तर के खाली गड्ढे में मुस्लिम कब्रिस्तान के लक्षण पाए गए थे जो इस बात को सिद्ध करने के लिए काफी हैं कि गुलजाना में मुस्लिम आबादी थी|


5. तीस के दशक से ही भारतीय स्वतंत्रता की उत्तरोत्तर बढ़ती आगमन ध्वनि, तदोपर मुहम्मद अली जिन्नाह का भारतीय मुसलमानों को स्वतंत्र भारत के परिप्रेक्ष में भयाक्रांत करना तथा कुछ मुसलमानों का सिर्फ अपने बिरादरी में रहने की इच्छा जैसे कुछ ऐसे सवाल थे जिससे कुछ मुसलमान गांवों से अपनी ज़मीं-जायदाद समेट कर या तो मुस्लिम बहुल गांवों में रहने चले गए या सरो-सामान बांधे अवश्यम्भावी पाकिस्तान को रुख किये बेसब्री से इंतज़ार करने लगे| गुलजाना भी इस सिद्धांत का अपवाद नहीं था| यहाँ के मुसलमान भी खरामा-खरामा अपनी जायदाद राज़ी-खुशी से समेट कर हरे भरे मैदान (Greener Pastures) के रुख हो लिए| हाँ, यह अलग चिंतन का विषय है कि क्या वे आज पाकिस्तान या बंगलादेश में अपनी हिन्दुस्तानी बिरादरी के बनिस्पत ज्यादा स्वन्त्रत और खुशहाल हैं?

6. सिन्दानी जैसे मुस्लिम बहुल गांवों से भी अपनी जायदाद गुलजाना के भूमिहारों को बेच कर मुसलमानों का प्रयाण दो बातें सिद्ध करती हैं| एक तो यह कि उन्होंने भवनपुर, मुस्सी और पूरा के भूमिहारों के मुकाबले गुलजाना के भूमिहारों को ज़मीनें बेचना पसंद किया| यह सिर्फ तभी संभव है जब गुलजाना में हिंदू-मुस्लिम सम्बन्ध बहुत स्नेहपूर्ण रहा हो| दूसरा यह कि उन गांवों में भूमिहार पहले से बसे हों और ज़मीन की भूख और ज़रूरत उन्हें गुलजाना के मुकाबले कम हो| गुलजाना में भूमिहार, कायस्थ, बढ़ई, तेली, यादव, दुसाध (पासवान),मुसहर और डोम जाति के लोग सौहार्दपूर्ण वातावरण में रहते हैं|

शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास

7. 649 मतदाता वाला छोटा ग्राम होते हुए भी गुलजाना ने शिक्षा के क्षेत्र में अविश्वसनीय उपलब्धि कायम की है| इसने 11 राजपत्रित पदाधिकारी (जिसमे 1 आई.ए.एस, 2 सेना के पिता पुत्र ले.कर्नल, और 8 इंजिनियर आदि अन्य अफसर), 3 आईआईटियन मिलाकर 30 अन्य इंजीनियर, 1 डाक्टर, 4 एल.एल.बी, 7 एम.बी.ए, 8 मर्चेन्ट नेवी अफसर, 9 होटेल मैनेजर, 2 लेक्चरर, 6 एम.ए और 120 स्नातक पैदा कर एक आदर्श उपस्थित किया है| इस उपलब्धि में हर वर्ण के लोगों का हाथ है| इस ग्राम ने इतने इंजिनियर पैदा किये हैं जितना शायद कुल मिलाकर एक जिला मुख्यालय में होते हों!!!

राजकीय सहायता और विकास

8. आज़ादी के बाद आज के सुशासन सरकार को मिलाकर सरकारी संरचनाओं का विकास गुलजाना में नगण्य सा है| विकास के नाम पर गुलजाना के दरधा और बुढ़नदी पर बनने वाला पुल पिछले सात वर्षों से सरकारी अक्रमण्यता के चलते विकास रूपी धराशायी भीष्म के वक्ष में चुभे अर्जुन के तीर सा लटका ग्रामवासियों के वक्ष में चुभ रहा है| पुल निर्माण दिसंबर 2008 में पूरा हो जाना था| अगले चुनाव की पृष्ठभूमि में जल्दी काम पूरा करने की घोषणा वाली नींद की गोली हाल ही में मंत्री और स्थनीय विधायक द्वारा दी जा चुकी है ताकि चुनाव तक जनता निद्रावस्था कि आत्ममुग्धताकि स्थिति में पड़ी रहे| सिंचाई सुविधा के नाम पर दर्धा नदी पर एक चार फीट ऊँचा बांध बनाया गया है जिसका पहला लाभुक गुलजाना गांव है लेकिन ‘अति विशेषज्ञ’ लघु सिंचाई विभाग के अभियंताओं की विलक्षण सर्वेक्षण योग्यता के चलते गुलजाना के खेतों की उंचाई बांध की उंचाई से ज्यादा है| योजना फिर भी स्वीकृत हुई और कार्य संपन्न हुआ| जन निधि का ऐसा समुचित उपयोग(या उपभोग) सुनने को कहाँ मिलता है? आखिर किसी की जवाबदेही तो तय होनी चाहिए थी| मामला मुख्य मंत्री दरबार तक भी पहुंचा था लेकिन नक्कारखाने में तूती की आवाज कहाँ सुनाई पड़ती है(Regn No 00000-1904100005)
जुलाई से नवम्बर तक यह गांव अपने प्रखंड टिकारी से कटा रहता है और पदाधिकारियों को चार महीने तक विकास कार्य नहीं करने का प्राकृतिक बहाना भी मिल जाता है| इस गांव का दुर्भाग्य ही कहा जायगा कि आजतक किसी भी सरकारी पदाधिकारी का पदार्पण(डी.एम.,एस.डी.ओ या बी.डी.ओ) इस ग्राम में विकास कार्य के लिए नहीं हुआ है, हालाँकि सुना जाता है कि “सरकार आपके द्वार” सरीखा जनाकर्षक कार्यक्रम मीडिया में बहु-प्रचारित है और राजधानी पटना के गलियारों में इस गांव का भी समुचित विकास हो ही रहा होगा| जिला स्तर का कोई भी उच्च अधिकारी अगर इस ग्राम में आ जाए तो तमाम सरकारी विकास योजनाओं की पोल खुल जाए| भानुमती का पिटारा खोले तो कौन???
9. यह एक अत्यंत दुर्भाग्य और आश्चर्य की ही बात है की बेला-टिकारी पथ पर होने के बावजूद भी इस गांव में पहुँच पथ नहीं है| अगर आम जनता चाहे तो कोई भी सरकारी व्यक्ति/वाहन पथ के अभाव में निजी भूमि से इस गांव में नहीं पहुँचने दे सकता लेकिन प्रशासन के कान में शायद अभी भी तेल ताजा है|


गुलजाना ग्राम की समग्र जानकारी के लिए www.guljana.weebly.com और www.guljanablogspot.com देखें
(ले.कर्नल विद्या शर्मा, से.नि)